कामकाज जो करे, मिले ना उचित दाम
बिन काम किये कोई पा रहा इनाम
इस दुनिया की रीत को कहूँ मैं अत्याचार
सीधा-सादा रो रहा, नाचे व्याभिचार
आगे-पीछे कुछ नहीं जो है सो ये सार
परलोक की बात पर करो ना सोच-विचार
जीवन है कुछ और नहीं पल दो पल का प्यार
जी लो इसमें ज़िंदगी, बाक़ी सब बेकार
राहुल उपाध्याय । 27 नवम्बर 2024 । सिएटल
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