चलते-चलते आदमी हो जाता है ढेर
करना है तो आज कर, कल न हो सबेर
हार-जीत की सोच ना, सोच करे नुकसान
करने वाले कर गए काम बड़े महान
चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोए
आटा-वाटा रोग है, खाए बीमार होए
हाथों में है जान तो है सारा जहान
यार-दोस्त, भाई-भतीजे सब करे सम्मान
छोटी सी ये यात्रा, छोटा सा ये खेल
धक्का-मुक्का ना करो, कसो ना नकेल
राहुल उपाध्याय । 28 नवम्बर 2024 । सिएटल
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