इस पल में जियो
यह सीख बचकानी हुई
आँधी आने की
जब घोषणा हुई
जो नहीं लाना था
वो भी ले आए
पूरी की पूरी
दुकान ले आए
जब बिजली नहीं थी
जाती नहीं थी
जो आता है वो जाता है
यह बात सताती नहीं थी
हर सीख से आदमी कैसे सीखे?
निडर हो कर कैसे जिएँ?
कल की आशंका से डरता है वो
बूंद-बूंद से घड़ा भरता है वो
आग लगने पर कुआँ खोदता नहीं
चांस पे कभी कुछ छोड़ता नहीं
राहुल उपाध्याय । 20 नवम्बर 2024 । सिएटल
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