अब तो मान जाओ
कि वो सुनता नहीं है
किसी भी मुद्दे पर
हस्तक्षेप करता नहीं है
तुम चाहो कि
यह जीते
वह जीतता नहीं है
तुम चाहो कि
वह हारे
वह हारता नहीं है
तुम्हारे चाहने से
कुछ होता नहीं है
यदि हो भी गया
तो तुम्हारे चाहने से तो यह हुआ नहीं है
क्योंकि हर बार ऐसा होता नहीं है
राहुल उपाध्याय । 6 नवम्बर 2026 । सिएटल
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