पार्टी नहीं जीती, जीते हैं मोदी व्यक्ति पूजा की फ़सल फिर से गई है बो दी लोकतंत्र की क़बर ऐसे गई है खोदी गाँधी, नेहरु माया, लालू पूजते हैं कुछ तो कुछ कहते इन्हें चालू धीरे-धीरे आस्था इन सब में हमने खो दी लोकतंत्र की क़बर ऐसे गई है खोदी पिछले साठ साल से पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवार के लोग ही चढ़े सत्ता की सीढ़ी डाल दी कभी बेटी तो कभी बेटे की गोदी लोकतंत्र की क़बर ऐसे गई है खोदी सिएटल 23 दिसम्बर 2007 गुजरात चुनाव के नतीजे के बाद Listen to it straight from the horse's mouth.
Sunday, December 23, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment