Tuesday, March 12, 2019

क़ीमती ज़ेवर तिजोरी में

जहाँ चिमन भाई सोते थे
वहाँ चिकन बाई होता है
जहाँ मूल मंत्र दिया जाता था
वहाँ मल-मूत्र पाया जाता है

अष्टपदी को छोड़कर
स्टूपिड जोक्स चलते हैं
उपनिषद की तो बात क्या
सब अपनी सेट करते हैं

श्लोक और ऋचाएँ सिर्फ़
अंग्रेज़ी बघारने वालों के नामों में हैं 
और देश है कि नमो-नमो, हे-नमो में माहिर है
जब दुर्दशा इतनी व्यापक है
तो विनाश तो सुनिश्चित है

लेकिन यह भारत है
और भारत का इतिहास
इस बात का साक्षी है कि
जब साक्षरता शून्य मात्र थी
तब भी ज्योतिर्लिंग सजते थे
प्राचीन मंदिरों के प्रांगण
देवमन्त्र से गूँजते थे

जब इतना सब कुछ बच गया
तो आज तो हम सुशिक्षित हैं
ब्लॉग और पी-डी-एफ में 
अनुसंधान और संस्थानों में 
डिजिटल क्लाउड में 
धरोहर हमारी सुरक्षित है

लेकिन ठीक उसी तरह
जैसे क़ीमती ज़ेवर तिजोरी में
जिसे निकालने में हम हिचकते हैं

राहुल उपाध्याय 13 मार्च 2019 मुम्बई 

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