क्या हुआ तेरा वादा, वो क़सम वो इरादा
मिलेगी डिग्री, जिस दिन तुम्हें
वो दिन 'यू-एस' में आखिरी दिन होगा
क्या हुआ तेरा वादा, वो क़सम वो इरादा
याद है मुझको तूने कहा था
तुमसे नहीं रुठेंगे कभी
फिर जिस तरह से हम पले हैं
कैसे भला जीएंगे कहीं
तेरी 'कोचिंग' में बीती हर शाम
के तुझे कुछ भी याद नहीं
क्या हुआ ...
ओ कहने वाले मुझको गरीब
कौन गरीब है ये बता
वो जिसने घर लिया उधार के पैसो से
या जिसने 'कैश' में तुझे भेज दिया
नशा दौलत का ऐसा भी क्या
बेवफ़ा ये तुझे याद नहीं
क्या हुआ ...
भूलेगा दिल जिस दिन तुम्हें
वो दिन जिन्दगी का आखिरी दिन होगा
क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा
(मजरूह सुल्तानपुरी से क्षमायाचना सहित)