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अगर एन-आर-आई, तुमको पहचान जाते
ख़ुदा की क़सम तुम्हे ग्रेजुएट न करते
जो मालूम होता, ये इलज़ाम-ए-तालीम
तो तुम को पढ़ाने की ज़ुर्रत न करते
जिन्हें तुमने समझा मेरी बेवकूफ़ी
मेरी ज़िन्दगी की वो मजबूरियाँ थीं
हाँ, पढ़ाई तुम्हारी इंग्लिश में की थी
क्यूंकि सरकार ने तो पहनी चूड़ियाँ थीं
अगर सच्ची होती शिक्षा तुम्हारी
तो घबरा के तुम यूँ शिकायत न करते
जो हम पर है गुज़री हमीं जानते हैं
सितम कौन सा है नहीं जो उठाया
निगाहों में फिर भी रही तेरी सूरत
हर एक सांस में तेरा पैगाम आया
अगर जानते तुम ही इलज़ाम दोगे
तो भूले से भी हम तुम्हे शिक्षित न करते
(प्रेम धवन से क्षमायाचना सहित)
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