दीवाली मनाए
हो गया एक ज़माना
जीने का मतलब
जब से हो गया कमाना
न स्कूल हैं बंद
न हैं आँफ़िस में छुट्टी
किस्मत भी देखो
किस तरह है फ़ूटी
बाँस को भी था
आज ही सताना
दीवाली मनाए
हो गया एक ज़माना
जीने का मतलब
जब से हो गया कमाना
न वो पूजा का मंडप
न वो फूलों की खुशबू
न वो बड़ों का आशीष
न वो अपनो की गुफ़्तगू
समां फिर ऐसा
मिले तो बताना
दीवाली मनाए
हो गया एक ज़माना
जीने का मतलब
जब से हो गया कमाना
वो मिठाई के डब्बे
वो दस तरह के व्यंजन
न था डाँयबिटिज़ का डर
न थे डाँयटिंग के बंधन
वो खूब खिला के
अपनापन जताना
दीवाली मनाए
हो गया एक ज़माना
जीने का मतलब
जब से हो गया कमाना
वो गलियों में रंगत
वो दहलीज़ पे रंगोली
वो रंगीं पोषाकों में
बच्चों की टोली
सपना सा लगता है
अब वो ज़माना
दीवाली मनाए
हो गया एक ज़माना
जीने का मतलब
जब से हो गया कमाना
याद आता है
वो पटाखों का शोर
बारूद में महकी
वो जाड़ों की भोर
वो रात-रात भर
दीपक जलाना
दीवाली मनाए
हो गया एक ज़माना
जीने का मतलब
जब से हो गया कमाना
सिएटल
24 अक्टूबर 2005
Friday, November 2, 2007
दीवाली की यादें
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:36 AM
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Labels: Diwali, Diwali Theme, festivals, TG
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1 comments:
अब तो यही हाल है. फिर भी, दीवाली की बहुत बहुत शुभकामनायें.
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