Wednesday, September 20, 2023

वजह

तुम्हारा फोन आया

तो ऐसा लगा

जैसे 

सिएटल में धूप खिली है 

खाना बना रखा है 

विविध भारती पर अच्छा गीत बज रहा है 

भूख लगी है 

और मैं एक-एक कौर

एक-एक निवाला 

हज़ारों 

रंगों से

ख़ुश्बूओं से

कृतज्ञताओं से

चैतन्यताओं से

सराबोर हो कर खा रहा हूँ 


जब तुम नहीं थी

तब भी

रंग थे

ख़ुश्बूएँ थीं

कृतज्ञताएँ थीं 

चैतन्यताएँ थीं

पर उनकी कोई वजह नहीं थी


वजह न हो

तो सब अजीब लगता है 


वजह मिल जाए

तो ख़ुशी होती है 

कि इसमें मेरा भी कुछ योगदान है


ख़ैरात किसे अच्छी लगती है?


राहुल उपाध्याय । 20 सितम्बर 2023 । सिएटल 


इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: