न शिकवा है कोई
न कोई गिला है
मुझे जो मिला है
बहुत ही मिला है
न आया मैं दर पे
कभी कुछ मैं लेने
दुआ तो रही दूर
न लब तक हिला है
मानूँ तुझको दाता
मगर वो नहीं जो
लेकर के सौग़ात
देता सिला है
तुझे पूजकर के
न कभी कुछ मिला है
जो भी मिला है
एक सिलसिला है
करूँ पेश तुझको
नज़राना कैसा
जो भी मैं दूँगा
तुझसे मिला है
राहुल उपाध्याय । 7 सितम्बर 2023 । सिएटल
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