तुमसे मिले मानो ज़माना हुआ
जीवन घट के जैसे आधा हुआ
चमन में, शहर में मिलते हैं फूल
पर तुमसा न कोई हमारा हुआ
तुम न होते तो हम भी न होते
एक तुम से ही जीवन गवारा हुआ
ये घूमना-फिरना सब फ़िज़ूल है जानम
जब हाथ में न हाथ तुम्हारा हुआ
मिलेंगे कभी ये उम्मीद है बाक़ी
इतना भी ख़ुदगर्ज़ न ख़ुदाया हुआ
राहुल उपाध्याय । 29 सितम्बर 2023 । सिंगापुर
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