Friday, September 22, 2023

गुलाब

तुम हो गुलाब तो हम ख़ार नहीं हैं

तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के तलबगार नहीं हैं


जीते हैं शौक़ से, मरते हैं शोख़ पर

किसी शरत के पियक्कड़ किरदार नहीं हैं 


लड़ के भी तुमने कहाँ छोड़ा है हमको

हम तुम जैसे भीखमंगे और मक्कार नहीं हैं


सब करते हैं जग में अपने ही मन की

कोई किसी का यहाँ गुनहगार नहीं है 


तुम जीयो, मरो या पा जाओ पुरस्कार कोई 

हमें रत्ती भर भी तुमसे कोई सरोकार नहीं है 


राहुल उपाध्याय । 22 सितम्बर 2023 । सिएटल 



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