न जलता तो क्या होता
मोम से मैं भरा होता
मर-मिटना ही जीवन है
मुझको कब पता होता
जानता जो सच्चाई को
रस्मों से जुदा होता
होता न मासूम मैं
पर्दों में छुपा होता
होश-ओ-हवास होते यदि
कहीं न मैं गया होता
सर पर बोझ कहाँ मेरे
होता तो क्या खड़ा होता
जानता कि जीवन समर है
कभी न मैं बड़ा होता
राहुल उपाध्याय । 9 सितम्बर 2023 । सिएटल
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