Monday, September 4, 2023

तन्हाईयों के डर से

तन्हाईयों के डर से

महफ़िल न खोजता हूँ 

अपनों के इस नगर में 

अपनी ही सोचता हूँ


बहता है पैसा इतना

बंधन नहीं है कोई 

पर्यावरण की चिंता 

जमकर के ओढ़ता हूँ 


मुझसे बुरे हैं कितने

अंदाज़ नहीं है मुझको

अच्छे-बुरे सभी में

ख़ुद को मैं देखता हूँ 


धड़कन बढ़ी नहीं है 

पाँव भी हैं ज़मीं पे

फिर भी है इश्क़ मुझको 

उसको मैं बोलता हूँ 


झूठा नहीं हूँ मैं भी

सच्चा नहीं हूँ मैं भी

जो मिल रहा है मुझको

उसको मैं सौंपता हूँ 


राहुल उपाध्याय । 4 सितम्बर 2023 । गाल्वेस्टन




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