न रदीफ है, न क़ाफ़िया
पढ़ के भी क्या किया
रात थी कि मात थी
भीग गया तकिया
कौन सी ये क़ौम है
बूझ रही है बिटिया
न रोष है, न रोशनी
मिट रही है दुनिया
धुल गए पाप सभी
जी न सकी नदिया
खीर चढ़ी भोग में
ताक रही है बछिया
राहुल उपाध्याय । 9 सितम्बर 2023 । सिएटल
न रदीफ है, न क़ाफ़िया
पढ़ के भी क्या किया
रात थी कि मात थी
भीग गया तकिया
कौन सी ये क़ौम है
बूझ रही है बिटिया
न रोष है, न रोशनी
मिट रही है दुनिया
धुल गए पाप सभी
जी न सकी नदिया
खीर चढ़ी भोग में
ताक रही है बछिया
राहुल उपाध्याय । 9 सितम्बर 2023 । सिएटल
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