न सोए, न जागे, न तड़पे हैं हम
आधी रात को न करवट बदले हैं हम
रहे दूर सदा शोख़ चिंगारियों से हम
किसी के भी ग़म में न झुलसे हैं हम
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है वो मेरा
कह-कह के न पागल सा भटके हैं हम
उन्मुक्त गगन के पंछी हैं हम
दामन से लिपट के न रोए हैं हम
ये दुनिया है फ़ानी, ये दुनिया है जानी
सम्बन्धों से भी कस के न चिपके हैं हम
राहुल उपाध्याय । 29 सितम्बर 2023 । सिंगापुर
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