पानी पड़ जाए आँख में तो रोना आता है
आँख है एक भगोना जिसे भिगोना आता है
हम जैसे ग़रीबों की हालत तो देखो
न नींद आती है, न सोना आता है
न डूबता है कोई, न डूबोता हूँ किसीको
पौन इंच की आँख में सिर्फ़ ख़्वाब बोना आता है
धरती है गोल और गोलाई भी ऐसी
कि हर किसी के हाथ कोना आता है
हम हैं अलग-थलग और अलग-थलग ही रहेंगे
बिरले ही हैं जिन्हें एक होना आता है
भगोना = बर्तन
पौन = 3/4th
सिएटल | 425-445-0827
1 comments:
"आँख है एक भगोना जिसे भिगोना आता है" - बहुत सुंदर line है! आपने ठीक कहा कि इस छोटी सी आँख से दुनिया देखने के साथ-साथ और बहुत कुछ होता है - कभी सपने आते हैं, कभी आँसू, कभी नींद।
अंत की lines भी बहुत अच्छी लगीं:
"हम हैं अलग-थलग और अलग-थलग ही रहेंगे
बिरले ही हैं जिन्हें एक होना आता है"
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