Friday, April 3, 2020

मिटती है हर बीमारी

सुना है इन दिनों तुम बहुत हाथ धो रही हो

चाहे कितनी ही कोशिश कर लो
मुझसे हाथ तुम धो न सकोगी
ख़ुशबू जो मेरी रग-रग में बसी है
किसी भी साबुन से खो न सकोगी
छ: फ़ुट की दूरी रख लो सबसे
खुद को मुझसे दूर कर न सकोगी
द्वार चाहे बन्द कर लो सारे
मन से मुझे निकाल न सकोगी
तमाम सामान भले उठ जाए दुकानों से
मुझ पर जो है भरोसा वो उठ न सकेगा
ऑनलाइन डिलिवर करवा लो सब कुछ
पर मुझसा दीवाना मिल ना सकेगा

रूमाल लगाओ
नक़ाब चड़ाओ
दस्ताने पहनो
भाप लो
पर इतना ज़रूर तुम भाँप लो
कि
महामारी आज नहीं तो कल गुज़र ही जाएगी
लेकिन दास्ताँ हमारी सदियों तक गाई जाएगी

कोशिश कर के देख ले 
दुनिया की दवा सारी
दिल की लगी नहीं मिटती है
मिटती है हर बीमारी

राहुल उपाध्याय । 3 अप्रैल 2020 । सिएटल

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