Friday, November 2, 2007

दीवाली की शुभकामनाएं


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

दीवाली की रात
हर घर आंगन
दिया जले
उसने जो
घर आंगन दिया
वो न जले

दिया जले
दिल न जले
यूंहीं ज़िन्दगानी चले

दीवाली की रात
सब से मिलो
चाहे बसे हो
दूर कई मीलों
शब्दों से उन्हे
आज सब दो
न जाने फिर
कब दो

दुआ दी
दुआ ली
यहीं है दीवाली

अक्टूबर 2000

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1 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

दिवाली पर एक अच्छा गीत लिखा है।बधाई।

दीवाली की रात
हर घर आंगन
दिया जले
उसने जो
घर आंगन दिया
वो न जले