Friday, April 27, 2018
अँगूठे
हम सब एक हैं
कोई भी धर्म हो
देश हो
जात हो
उम्र हो
लिंग हो
सबके सब
स्मार्टफ़ोन में
मुँह छुपाए
रहे आँखें सेंक हैं
लेकिन मेरी मम्मी और मामी जैसे भी अनेक हैं
जिनमें अभी भी विवेक है
या यूँ कहिए कि ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं
इसलिए अँगूठे दिए नहीं टेक हैं
27 अप्रैल 2018
सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:27 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: digital age
Thursday, April 26, 2018
मेरा दिमाग़
मेरा दिमाग़
किसी नामी-गिरामी प्राईवेट स्कूल जैसा है
जिसमें
उन्हीं लोगों को दाख़िला मिल सकता है
जो मेरे नियमों का पालन कर सके
जो अच्छे तबके से हो
और जिन्हें इतनी समझ हो
कि जो मैं समझाऊँ
वे समझ सके
वरना
मेरा दिमाग़ नहीं ख़राब हो जाएगा?
26 अप्रैल 2018
सिएटल
Wednesday, April 25, 2018
फेसबुक-वेसबुक
फेसबुक-वेसबुक ऐप्स हैं सारी
ऐप्स की बातों का क्या
कोई किसीका नहीं ये झूठे खाते हैं
खातों का क्या
होगा फ़ोटो सामने तेरे
फिर भी नहीं बूझ पाएगा
लड़का है या लड़की बॉबी
तय नहीं कर पाएगा
रात-रात भर जागने वाले
दिन भर अब तू गाएगा
फेसबुक-वेसबुक ...
उठते-बैठते पिंग करेंगे
ताबड़तोड़ सब 'लाईक' करेंगे
होली-दीवाली और जन्मदिन
सब पर तुझको 'विश' करेंगे
'विश' करते-करते एक दिन
जीवन में विष घोलेंगे
फेसबुक-वेसबुक ...
अपने अब तू कान पकड़ ले
फेसबुक छोड़ कोई काम पकड़ ले
इस-उस ग्रुप में भटक न ऐसे
किताब उठा कोई किताब तू पढ़ ले
प्रेम से कह के सबको नमस्ते
राह पे अपनी आगे बढ़ ले
फेसबुक-वेसबुक ...
(इन्दीवर से क्षमायाचना सहित)
25 अप्रैल 2018
सिएटल
Tuesday, April 24, 2018
ताश की गड्डी
मैं वह सब हूँ
जो तुम मुझे सोचती हो
वफ़ादार, फरेबी
दयालु, ग़ुस्सैल
प्यारा, फूहड़
कमाल का जादू है!
जो तुम सोचती हो
वही पत्ता निकल आता है
मेरी ताश की गड्डी से
24 अप्रैल 2018
सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:39 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: relationship
Monday, April 23, 2018
काजल के निशान
शर्ट के कंधे पर
काजल के निशान
किसी ख़ुशनसीब को ही नसीब होते हैं
जब मन्नत पूरी हो जाती है
आँसू छलक ही जाते हैं
23 अप्रैल 2018
सिएटल
Saturday, April 21, 2018
Blind spot
इरादे नेक थे
या बुरे?
फ़ैसला हो न सका
हवा चली
और दिया बुझा नहीं
हवा ने दरियादिली दिखाई किसी
मासूम पे
या
वादाखिलाफी की
अपने धर्म से?
ज्योत के बल की कौन बात करता है?
21 अप्रैल 2018
सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:08 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: relationship
Friday, April 20, 2018
वो हंगामा जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
चलो इक बार फिर से क्रिकेट देख लें हम दोनों
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ फ़ैसले आदि की
न तुम मेरी तरफ़ रखो माँग भागीदारी की
मेरे अपने जुनून हैं, मेरे सपने हैं
मेरे उपर लटकी है तलवार ज़िम्मेदारी की
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये बेकार के चक्कर हैं
कब किस आंदोलन ने क्या बदल दिया देखो
शहीद हए कई लेकिन बदले न मंज़र हैं
तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो हंगामा जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे एक क्रिकेट मैच पर छोड़ना अच्छा
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
20 अप्रैल 2018
सिएटल
Thursday, April 19, 2018
संन्यास
हारना तुम्हें आता नहीं
हराना मैं चाहता नहीं
ऐसी बाज़ी खेलने से क्या मतलब?
अब हम बच्चे तो हैं नहीं
कि स्कूल की यूनिफ़ॉर्म के साथ ही
गिले-शिकवे भी उतार दें
अब हम जवाँ भी नहीं
कि व्हाट्सैप पर एक-दो कार्टून भेजकर
सब भुला दें
पचपन की उम्र में तो पवैलियन नज़र आ जाता है
राम चाहे भजूँ न भजूँ पर जीवन सिमट सा जाता है
क्यूँ पहनूँ पैड्स
क्यूँ चढ़ाऊँ ग्लव्स
और क्यूँ किसी अनजान गैंद पर
हो जाऊँ मैं आउट?
तुम्हें
अपनी टीम
अपना मिशन
मुबारक
मुझे अपना रणभूमि से संन्यास
19 अप्रैल 2018
सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:07 PM
आपका क्या कहना है??
3 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: relationship
Subscribe to:
Posts (Atom)