मैं वह सब हूँ
जो तुम मुझे सोचती हो
वफ़ादार, फरेबी
दयालु, ग़ुस्सैल
प्यारा, फूहड़
कमाल का जादू है!
जो तुम सोचती हो
वही पत्ता निकल आता है
मेरी ताश की गड्डी से
24 अप्रैल 2018
सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:39 PM
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