पहले मैं जन्मदिन याद रखता था
अब निधन की तारीख़ याद रखता हूँ
पहले रिटायर होने के ख़्वाब देखता था
अब रिटायर होने से डरता हूँ
तेरह में पिता
चौदह में ससुर
पन्द्रह में दोस्त
फिर तो जैसे ताँता ही लग गया
जीजा, बुआ, मौसा, सास
धीरे-धीरे सारे
सम्बन्ध छूटते जा रहे हैं
बंधन टूटते जा रहे हैं
वह नाव
जिसका कोई ध्येय नहीं है
पतवार डाले
पड़ी है सुस्त
14 अप्रैल 2018
सिएटल
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