Saturday, April 14, 2018

जिसका कोई ध्येय नहीं है

पहले मैं जन्मदिन याद रखता था
अब निधन की तारीख़ याद रखता हूँ

पहले रिटायर होने के ख़्वाब देखता था
अब रिटायर होने से डरता हूँ

तेरह में पिता
चौदह में ससुर
पन्द्रह में दोस्त 

फिर तो जैसे ताँता ही लग गया
जीजा, बुआ, मौसा, सास

धीरे-धीरे सारे 
सम्बन्ध छूटते जा रहे हैं
बंधन टूटते जा रहे हैं 

वह नाव
जिसका कोई ध्येय नहीं है
पतवार डाले
पड़ी है सुस्त 

14 अप्रैल 2018
सिएटल

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