न जाने कौन सी चीज़ तुम्हें पसन्द है
इसलिए हनुमान जी की तरह सारी चीज़ उठा लाया
- मोज़्ज़रैला से लेकर चेडार तक
- अमेरिकन से लेकर स्विस तक
- ब्री से लेकर गौडा तक
- प्रोवोलोन से लेकर पेप्परजैक तक
- पार्मीज़ैन से लेकर फ़ेटा तक
- मॉन्ट्री जैक से लेकर हावरार्टी तक
- ब्लू से लेकर मन्स्टर तक
- रिकौटा से लेकर कोल्बी तक
- कॉटेज से लेकर क्रीम तक
नतीजा?
- पेट बढ़ गया
- बाल झड़ गए
- स्वास्थ्य बिगड़ गया
- बाग़ उजड़ गया
लेकिन तुम जो चाहती थी
वो चीज़ नहीं मिली
- न कास्टको में, न विन्को में
- न सेफवे में, न टारगेट में
- न फ्रेड मायर में, न क्यू-एफ-सी में
- न पी-सी-सी में, न होल फ़ूड्स में
- न क्रोगर में, न लकी में
- न अल्बरटसन्स में, न कारफोर में
- न एक्मे में, न आई-जी-ए में
- न ट्रैडर जोस में, न वॉल-मार्ट में
क्यूँकि जो हमें चाहिए
उसे
- परिभाषित करना कठिन
- समझाना नामुमकिन
- और समझना दुश्वार है
चाहत
एक अहसास है
जिसका होना ही पाना है
जिसकी खोज
एक निरर्थक प्रयास है
जिसका न रंग है, न रूप है
जिसमें दर्द है, सुकून है
जिसके बग़ैर
हम एक ज़िंदा लाश है
18 अप्रैल 2018
सिएटल
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