कोई शहर नहीं
जिसमें ज़हर नहीं
ज़हर तो है
पर असर नहीं
जो पढ़े समाचार
उसे ख़बर नहीं
जो सुने समाचार
बाख़बर नहीं
है प्यार बहुत
बस इधर नहीं
राहुल उपाध्याय । 31 अक्टूबर 2023 । क्राबी (थाइलैंड)
कोई शहर नहीं
जिसमें ज़हर नहीं
ज़हर तो है
पर असर नहीं
जो पढ़े समाचार
उसे ख़बर नहीं
जो सुने समाचार
बाख़बर नहीं
है प्यार बहुत
बस इधर नहीं
राहुल उपाध्याय । 31 अक्टूबर 2023 । क्राबी (थाइलैंड)
हर शहर में एक ऐसा शहर है
जो सफ़र में बन के रहा हमसफ़र है
मिलता है मुझसे
पहचानता है मुझको
मेरी ही आवाज़ में
बुलाता है मुझको
सुनता है मेरी
सुनाता है अपनी
खिला के मुझे
भूख मिटाता है अपनी
जानता है वो
मैं यहाँ रूकूँगा नहीं
गले से लगाके
उसे रखूँगा नहीं
और यही एक बात
उसे खींच लाती है मुझ तक
वरना हज़ारों हैं लोकल
जो कर सकते हैं प्यार
मुझसे भी ज़्यादा
पर परदेसी की नज़र
है ऐसी दीगर
कि पीपल हो
पनघट हो
कुत्ता हो कोई
नदी हो
दरिया हो
मंदिर हो कोई
सुबह हो
शाम हो
पहर हो कोई
खेत हो
खलिहान हो
बंजर हो कोई
हूर हो
परी हो
साधारण हो कोई
हर एक पे कैमरा
निकलता है ऐसे
कि यही है ताजमहल
यही अजन्ता
जितना भी देखूँ
पेट नहीं भरता
कल जाना है मुझको
कैसे समेटूँ हुस्न ये सारा
फिर आना है एक दिन
लेकिन आऊँगा नहीं
न जाने कितने पनघट अभी
और निहारने हैं बाक़ी
राहुल उपाध्याय । 30 अक्टूबर 2023 । क्राबी (थाइलैंड)
(क्राबी छोड़ने की पूर्व संध्या पर)
https://mere--words.blogspot.com/2023/10/blog-post_30.html?m=1
हर शहर में एक ऐसा शहर है
जो सफ़र में बन के रहा हमसफ़र है
मिलता है मुझसे
पहचानता है मुझको
मेरी ही आवाज़ में
बुलाता है मुझको
सुनता है मेरी
सुनाता है अपनी
खिला के मुझे
भूख मिटाता है अपनी
जानता है वो
मैं यहाँ रूकूँगा नहीं
गले से लगाके
उसे रखूँगा नहीं
और यही एक बात
उसे खींच लाती है मुझ तक
वरना हज़ारों हैं लोकल
जो कर सकते हैं प्यार
मुझसे भी ज़्यादा
पर परदेसी की नज़र
है ऐसी दीगर
कि पीपल हो
पनघट हो
कुत्ता हो कोई
नदी हो
दरिया हो
मंदिर हो कोई
सुबह हो
शाम हो
पहर हो कोई
खेत हो
खलिहान हो
बंजर हो कोई
हूर हो
परी हो
साधारण हो कोई
हर एक पे कैमरा
निकलता है ऐसे
कि यही है ताजमहल
यही अजन्ता
जितना भी देखूँ
पेट नहीं भरता
कल जाना है मुझको
कैसे समेटूँ हुस्न ये सारा
फिर आना है एक दिन
लेकिन आऊँगा नहीं
न जाने कितने पनघट अभी
और निहारने हैं बाक़ी
राहुल उपाध्याय । 30 अक्टूबर 2023 । क्राबी (थाइलैंड)
(क्राबी छोड़ने की पूर्व संध्या पर)
जहां समंदर नहीं, वहाँ जन्नत नहीं
यह कहना मेरी आदत नहीं
हो वैभव जहां. जहां कुछ भी नहीं
कैसे कहूँ कि एक से मोहब्बत नहीं
है पर्वत से प्रेम, और घटाओं से भी
नफ़रत करना मेरी फ़ितरत नहीं
घूमता हूँ मैं दुनिया जहान में यूँ
कि किसी से भी कोई तिजारत नहीं
ये साफ़गोई नहीं, न है तमाशा कोई
अशआर हैं मेरे, अर्ज़ी-ए-अदालत नहीं
राहुल उपाध्याय । 30 अक्टूबर 2023 । क्राबी (थाइलैंड)
इतवारी पहेली:
बात हो रही है बल्लेबाज़ के #%# # #
खाके सब्ज़ी पाता हैं कैसे वो ## ###
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 5 नवम्बर 2023 को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 29 अक्टूबर 2023 । क्राबी (थाईलैण्ड)
इतवारी पहेली:
जुड़े हैं और जुड़े रहेंगे ## ## #
न डरेंगे किसी इज़राइल-### #
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 29 अक्टूबर 2023 को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 22 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर
तुम गई थी मुझको छोड़ के
सवेरे गली के जिस मोड़ पे
उस मोड़ की मैं पूजा करूँगा
उसी को मैं अपना मंदिर कहूँगा
वादे का कोई औचित्य नहीं था
वादे की कोई दरकार नहीं थी
वादा किसी ने माँगा नहीं था
वादा तुम्हें देना नहीं था
फिर भी तुमने वादा किया है
चंद घंटों को जीवन दान दिया है
कि आती हूँ मैं फिर दो बजे तक
उसके आगे कुछ सुना नहीं था
उसके आगे कुछ सुनना नहीं था
यही थे मेरे अठारह अध्याय
यही थे मेरे सप्त सोपान
बिन माँगे मोती मिले हैं
मुझ जैसे के भाग खुले हैं
दूर सघन परदेस में भी
दिल से दिल के तार जुड़े है
राहुल उपाध्याय । 26 अक्टूबर 2023 । लंगकावी (मलेशिया)
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:12 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
वो कितनी डरती है
वो कितनी मरती है
मेरी बातों से
मेरे गानों से
वो कितनी पगली है
वो कितनी बनती है
कोई पूछे तो
झूठ कहती है
वो कितनी कच्ची है
वो कितनी सच्ची है
जो कहना नहीं
कह देती है
वो कितनी खट्टी है
वो कितनी मीठी है
सब रंगों का
रस देती है
वो कितनी हँसती है
हँसती रहती है
दूधिया दाँतो से
हँसती रहती है
वो सबसे अच्छी है
वो सबसे रखती है
प्यारी-प्यारी सी
बातें करती है
राहुल उपाध्याय । 25 अक्टूबर 2023 । लंगकावी (मलेशिया)
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:16 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
भटकोगे रास्ता, रास्ता मिलेगा
नाक की सीध में कुछ ना मिलेगा
समंदर में जो भी मिलते हैं दरिया
उनमें से एक भी न सयाना मिलेगा
झगड़ों के पीछे क्यों पड़ते हो इतना
छोड़ोगे उनको ख़ज़ाना मिलेगा
सपनों की दुनिया झूठी है सारी
जग के भी न कोई सच्चा मिलेगा
जी भर के जियो ये पल भर का जीवन
ये जीवन न तुमको दोबारा मिलेगा
राहुल उपाध्याय । 25 अक्टूबर 2023 । लंगकावी (मलेशिया)
इतवारी पहेली:
जुड़े हैं और जुड़े रहेंगे ## ## #
न डरेंगे किसी इज़राइल-### #
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 29 अक्टूबर 2023 को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 22 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर
इतवारी पहेली:
न साधु से कर, न ## ## #
मोहब्बत कर किसी #%# #
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 15 अक्टूबर 2023 को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 8 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर
जैसे-जैसे विकास होता जा रहा है
रास्ते कम होते जा रहे हैं
पैदल चलने के
कहीं भी जाना हो
तो कार के रस्ते जाओ
घर जाना हो
दफ़्तर जाना हो
बाज़ार जाना हो
स्कूल जाना हो
खेलने जाना हो
मिलने जाना हो
जिम जाना हो
घूमने जाना हो
नाचने जाना हो
कार के रास्ते जाओ
पैदल चलने के रास्ते भी बन रहे हैं
लेकिन गोल-गोल घूमने के लिए
जो किसी गंतव्य तक नहीं जाते
राहुल उपाध्याय । 18 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर
न कब्र कोई होगी
न स्मारक मेरा
मुझे मार देगा
इक दिन सवेरा
चले जाओगे तुम भी
नज़र को बचाकर
मैं मरता हूँ तो क्या
ये जीवन है मेरा
ये कैसा शग़ल है
ये कैसी है महफिल
सुर में हैं सब लेकिन
जैसे सपेरा
सराय ही सराय है
यहाँ से वहाँ तक
मैं जिस ओर जाऊँ
नहीं है बसेरा
चाहा नहीं कि
परी कोई पाऊँ
नहीं माँगी पर्सिस
न नाडिया फ़रेरा
राहुल उपाध्याय । 15 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर