ग़ज़ब तेरा सिस्टम
ग़ज़ब तेरी माया
न समझा है कोई
न तू समझाने आया
ये कैसी उदासी
ये कैसा समां है
ये हम रो रहे हैं कि
तूने रूलाया
ये दुनिया के झगड़े
ये दुनिया के लफड़े
ये हम लड़ रहे हैं कि
तूने लड़ाया
बरसते हैं बादल
उभरते हैं सौ फल
ये सिस्टम परफ़ेक्ट
है कैसे बनाया
कभी तू है सब कुछ
कभी तू नहीं है
ये तेरी है लीला कि
धोखा है खाया
ये प्रलय हो रहा है
कि सृजन हो रहा है
भ्रम में है हर कोई
क़हर क्यूँ है ढाया
ये कैसा सफ़र है
ये कैसी डगर है
चलते हैं सब और
है मंज़िल बकाया
राहुल उपाध्याय । 15 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर
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