हर चीज़ का मूल्य तय हो जाए
और पेमेंट वक्त-वक्त पर मिल जाए
तो सारे झगड़े ख़त्म हो जाए
प्यार?
प्यार का कोई मूल्य नहीं
कितना दिया
कितना लिया
यह भी तो कुछ पता नहीं
नतीजन
हर कोई ठगा सा महसूस करता है
घाटे का सौदा लगता है
शिक्षा जैसी चीज को
जब हमने अंकों-घंटों से नाप लिया
तो
प्यार को क्यूँ छोड़ दिया
भूख-प्यास-हवस-मौत
सब का है तय मूल्य यहाँ
फिर प्यार को क्यूँ छोड़ दिया
पालन-पोषण-यारी-दोस्ती
इन सबका भी कोई उचित मोल हो
महीने-महीने बिल आ जाए
न भर पाए तो सम्पत्ति जप्त हो जाए
सश्रम कारावास की सज़ा हो जाए
राहुल उपाध्याय । 4 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर
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