Sunday, October 15, 2023

न कब्र कोई होगी

न कब्र कोई होगी

न स्मारक मेरा

मुझे मार देगा

इक दिन सवेरा


चले जाओगे तुम भी

नज़र को बचाकर

मैं मरता हूँ तो क्या

ये जीवन है मेरा


ये कैसा शग़ल है

ये कैसी है महफिल 

सुर में हैं सब लेकिन 

जैसे सपेरा 


सराय ही सराय है

यहाँ से वहाँ तक

मैं जिस ओर जाऊँ 

नहीं है बसेरा


चाहा नहीं कि

परी कोई पाऊँ 

नहीं माँगी पर्सिस 

न नाडिया फ़रेरा 


राहुल उपाध्याय । 15 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर 

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