इतने मज़े में मैं कभी न था
मुझे सुख जहान के मिल गए
भटक रहा था अंधेरों में मैं
मुझे दो चिराग़ से मिल गए
इतनी हसीन है ये ज़िन्दगी
चाहे जो भी वे मुझे मिल गए
जो न मिट सके, नश्वर नहीं
मुझे सब यहीं पे मिल गए
मैं हूँ इक खड़ूस, इक कठोर सा
मुझे किसलिए ये मिल गए
राहुल उपाध्याय । 6 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर
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