Saturday, October 7, 2023

पुरस्कार

पुरस्कार पाने के लिए 

कितनी मेहनत करनी पड़ती है

आप नहीं जानते


पहले अपनी ही कृति पर

मंत्र-मुग्ध होना पड़ता है

इससे अच्छा कोई रच नहीं सकता

इसका भरोसा दिलाना पड़ता है 


फिर प्रकाशन के लिए

प्रचुर मात्रा में धन कमाना पड़ता है

या फिर किसी संस्थान से

अनुदान हथियाना पड़ता है 


छपने के बाद 

तमाम अकादमियों को 

ढूँढना पड़ता है

जो अमुक वर्ष में अमुक प्रकार की

प्रकाशित कृतियों को स्वीकार करता हो

उस अमुक प्रांत का बन के दिखाना पड़ता है 

हाँ यहीं हम पैदा हुए थे

नहीं यहाँ हम स्कूल गए थे

नहीं यहाँ हमारी बहन की ससुराल है

क्या बात कर रहे हैं?

यहीं तो हर साल हम अपने गुरूजी से मिलने आते हैं 


रचना पड़ने की फ़ुरसत किसे है

तो विज्ञप्ति लिखने की ज़हमत भी कोई क्यों उठाए

अकादमी ही स्वयं कह देती है कि

जब आप ही कह रहे हैं कि ये पुरस्कार के लायक़ है

तो आप ही लिख दीजिए 


राहुल उपाध्याय । 8 अक्टूबर 2023 । सिंगापुर 



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