भटकोगे रास्ता, रास्ता मिलेगा
नाक की सीध में कुछ ना मिलेगा
समंदर में जो भी मिलते हैं दरिया
उनमें से एक भी न सयाना मिलेगा
झगड़ों के पीछे क्यों पड़ते हो इतना
छोड़ोगे उनको ख़ज़ाना मिलेगा
सपनों की दुनिया झूठी है सारी
जग के भी न कोई सच्चा मिलेगा
जी भर के जियो ये पल भर का जीवन
ये जीवन न तुमको दोबारा मिलेगा
राहुल उपाध्याय । 25 अक्टूबर 2023 । लंगकावी (मलेशिया)
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