मेरे हाथों से जो खाए
खा के धूम जो मचाए
उससे कहूँ मुझे पा तो बुलाए
कितना वो क्यूट है वो जाने कहाँ है
दिन भर हँसाए मुझे, मेरा जहां है
जगता है या फिर सोता है वो
हँसता है या फिर रोता है वो
दौड़े-भागे झूम-झूम
घुटनों-घुटनों रूम-रूम
ऐसा लगे जैसे चाँद पे हैं आएँ
जादू सा जैसे कोई चलने लगा है
मैं क्या करूँ दिल मचलने लगा है
उसी से हैं दिन-रात मेरे
उसी से बंधे सब जज़्बात मेरे
झूमूँ-नाचूँ घुम-घुम
उसे लूँ मैं चूम-चूम
पल-पल उसे दूँ मैं लाख दुआएँ
राहुल उपाध्याय । 11 दिसम्बर 2024 । सिएटल
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