Wednesday, December 11, 2024

मेरे हाथों से जो खाए

मेरे हाथों से जो खाए

खा के धूम जो मचाए 

उससे कहूँ मुझे पा तो बुलाए


कितना वो क्यूट है वो जाने कहाँ है

दिन भर हँसाए मुझे, मेरा जहां है 

जगता है या फिर सोता है वो

हँसता है या फिर रोता है वो

दौड़े-भागे झूम-झूम

घुटनों-घुटनों रूम-रूम

ऐसा लगे जैसे चाँद पे हैं आएँ


जादू सा जैसे कोई चलने लगा है 

मैं क्या करूँ दिल मचलने लगा है 

उसी से हैं दिन-रात मेरे

उसी से बंधे सब जज़्बात मेरे

झूमूँ-नाचूँ घुम-घुम

उसे लूँ मैं चूम-चूम

पल-पल उसे दूँ मैं लाख दुआएँ 


राहुल उपाध्याय । 11 दिसम्बर 2024 । सिएटल 

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