आशिक़ थे, आश्ना हो गए
दिल से दिल जुदा हो गए
लड़ते-झगड़ते अच्छे थे हम
मीठे बोल अब सज़ा हो गए
न ज़ाकिर से वास्ता, न गुकेश से मोह
पर आया दिन तो सब फ़िदा हो गए
चलती चक्की, पिसते लोग
कैसे-कैसे लोग फ़ना हो गए
पति परमेश्वर मेरा स्वामी है
कह के लोग गुमशुदा हो गए
(आश्ना = कोई जान पहचान वाला)
राहुल उपाध्याय । 16 दिसम्बर 2024 । सिएटल
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