Monday, December 16, 2024

आशिक़ थे, आश्ना हो गए

आशिक़ थे, आश्ना हो गए

दिल से दिल जुदा हो गए 


लड़ते-झगड़ते अच्छे थे हम

मीठे बोल अब सज़ा हो गए


न ज़ाकिर से वास्ता, न गुकेश से मोह

पर आया दिन तो सब फ़िदा हो गए 


चलती चक्की, पिसते लोग

कैसे-कैसे लोग फ़ना हो गए 


पति परमेश्वर मेरा स्वामी है

कह के लोग गुमशुदा हो गए


(आश्ना = कोई जान पहचान वाला)

राहुल उपाध्याय । 16 दिसम्बर 2024 । सिएटल 







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