Wednesday, December 25, 2024

पाई के पहले तेरह अंक

सदियों से चमकती

ये लहलहाती 

महकती-फुलवारियाँ 

जहां हिलते-डुलते

रंग-रंगीले सुमन

फैला-रहे-हैं

बाँट-रहे-हैं-चार-सू 

ख़ुशियाँ-हज़ारों-हज़ार 


(यह रचना पाई के पहले तेरह अंकों को याद करने के उद्देश्य से लिखी गई है।

3.14

15

9

26

53

58

9)


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