super bowl कहो
या superb owl कहो
या सुपर बोल कहो
जो भी कहो
एक बात तो है
कि सारे के सारे शहर
का ध्यान
एक ही लक्ष्य की ओर केंद्रित है
अपनी टीम का उत्साह बढ़ाना
उसकी जीत की आशा करना
कुछ लोग इसमें इश्वर की भी मदद मांग लेते हैं
कि हे भगवन! मेरी टीम को जीता देना
और अगर दूसरी टीम के अनुयायी या खिलाड़ी यही मांग करें तो ईश्वर क्या करेगा?
क्या वो दोनों पक्षों के प्रत्याशियों के प्रयासों का
हिसाब-किताब करेगा?
कि किसने कितने दीपक जलाए?
किसने कितने हवन कराए?
कितना दान दिया?
नहीं
जब ब्रह्माण्ड की रचना हुई
तभी उसके नियम निर्धारित कर दिये गये थे
और उन्हीं नियमों के अंतर्गत धरती आकाश चांद सितारे सूरज स्वचालित हैं
किसी भी कार्य में
किसी भी प्रक्रिया में
ईश्वर के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है
2 फ़रवरी 2014
सिएटल । 513-341-6798
या superb owl कहो
या सुपर बोल कहो
जो भी कहो
एक बात तो है
कि सारे के सारे शहर
का ध्यान
एक ही लक्ष्य की ओर केंद्रित है
अपनी टीम का उत्साह बढ़ाना
उसकी जीत की आशा करना
कुछ लोग इसमें इश्वर की भी मदद मांग लेते हैं
कि हे भगवन! मेरी टीम को जीता देना
और अगर दूसरी टीम के अनुयायी या खिलाड़ी यही मांग करें तो ईश्वर क्या करेगा?
क्या वो दोनों पक्षों के प्रत्याशियों के प्रयासों का
हिसाब-किताब करेगा?
कि किसने कितने दीपक जलाए?
किसने कितने हवन कराए?
कितना दान दिया?
नहीं
जब ब्रह्माण्ड की रचना हुई
तभी उसके नियम निर्धारित कर दिये गये थे
और उन्हीं नियमों के अंतर्गत धरती आकाश चांद सितारे सूरज स्वचालित हैं
किसी भी कार्य में
किसी भी प्रक्रिया में
ईश्वर के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है
2 फ़रवरी 2014
सिएटल । 513-341-6798
2 comments:
"Super Bowl" और "Superb Owl" - दोनों ही "बोल super" हैं!:)
आपने बात अच्छी उठाई है - अगर दो भक्त ईश्वर से एक ही चीज़ मांगें और दोनों की भक्ति सच्ची हो, और चीज़ किसी एक को ही मिल सकती हो, तो ईश्वर क्या और कैसे फ़ैसला करेंगे? क्या ईश्वर भक्ति को logically judge करेंगे - number of deepaks, number of vrats count करेंगे? या number of good deeds count करेंगे? या पिछले जन्म के कर्मों को देखकर decision लेंगे? एक possibility वो भी है जो आपने कही है - कि ईश्वर कोई intervention नहीं करेंगे - nature के laws के अनुसार जो होना होगा, वही होगा। कुछ शास्त्र कहते हैं कि ईश्वर intervene नहीं करेंगे क्योंकि हर किसी को अपने कर्मों का फल मिलता है - जिसके कर्मों में ख़ुशी पाना लिखा होगा उसको मन चाही चीज़ मिल जायेगी; जिसके कर्मों में दुःख पाना लिखा होगा उसे नहीं मिलेगी। सबको अपने हिस्से की ख़ुशी या दुःख मिलना है - situation या लोग तो सिर्फ एक instrument हैं जिनके through हमें अपने कर्मों का फल deliver होता है।
मुझे लगता है कि आपके सवाल का कोई definitive answer नहीं है। हम सब अपने perspective से, अपने beliefs के अनुसार किसी answer को सच मान सकते हैं । सच सिर्फ यही है कि आपने सवाल अच्छा पूछा है!
जीत-हार में सारा ध्यान score पर केंद्रित होता है - 6, 8, 10 - numbers चलते जाते हैं - और फिर एक team जीत जाती है। अच्छा लगा कि आपने score से हटकर जीत-हार पर कुछ गहरे सवाल सोचे!
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