आजकल
टाईम देखने का भी टाईम नहीं है
टाईम देखो तो टाईम ख़र्च होता है
पता चलता है कि
दो व्हाट्सैप मैसेजेस आए हैं
तीन फ़ेसबुक अपडेट्स
और पचासों फ़ीड्स
जिनको देखते-देखते
घंटा कब निकल जाता है
पता ही नहीं चलता है
फ़ोन है
पर फ़ोन आता नहीं
घड़ी है
पर घड़ी पहनते नहीं
घर है
पर घर पर मिलते नहीं
(स्टारबक्स पर मिलें?)
हम जबसे स्मार्ट हुए है
तबसे चीज़ों का सही
इस्तेमाल करना
भूल गए हैं
ये न सोचो
इसमें अपनी
कार है कि जीप है
उसे अपना लो
जो भी करती भीड़ है
ये ज़िद छोड़ो
मुँह न मोड़ो
हर घर का दर्शन है
ये गराज है
इस गराज का
यही है
यही है
सदुपयोग
थोड़ी कुर्सियाँ
थोड़े डब्बे
पिंग-पांग टेबल
दो-चार पंखे
यही है
यही है
इनका सही स्थान
ये गराज है
इस गराज का
यही है
यही है
सदुपयोग
15 दिसम्बर 2015
सिएटल | 425-445-0827
(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)
5 comments:
आपने ठीक कहा कि "आजकल टाईम देखने का भी टाईम नहीं है, टाईम देखो तो टाईम ख़र्च होता है" - इस तेज़ रफ्तार जीवन में एक पल ठहरना भी मुशकिल हो गया है। यह line भी सही है कि "फ़ोन है पर फ़ोन आता नहीं" - फ़ोन पर सब के फेसबुक मैसेज आते हैं मगर आवाज़ वाली बातचीत कम होती है। जबसे communication के smart तरीके आ गए हैं, हम पुराने ways of communication से बहुत दूर हो गए हैं। Garage और ऐसी कई और चीज़ों को भी actual purpose के लिए अब हम use नहीं करते। इस "smart" होने की बात पर आपकी parody अच्छी लगी। Original गाना भी अच्छा है।
Haha, right .
आजकल कविता लिखने का भी टाईम नहीं है! :)
Reaction on email:
सुन्दर, सटीक व्यंग।
Another comment on email:
This is very insightful!
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