सिंहस्थ है बढ़िया और अभूतपूर्व
पर वादे कई हैं मेरे हुज़ूर
कोसों है चलना जिससे पहले जाऊँ मैं कुम्भ
कोसों है चलना जिससे पहले जाऊँ मैं कुम्भ
7 मई 2016
(Robert Frost से क्षमायाचना सहित)
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:04 AM
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1 comments:
बहुत बढ़िया! Robert Frost की कविता को आजकल हो रहे कुम्भ से बहुत अच्छी तरह जोड़ा है। दोनों ही कविताएं profound हैं!
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