आजकल
हर किसी के पास आई-फ़ोन है
पर किसी के पास भी
आता नहीं कोई फ़ोन है
पहले
डाकिये की राह
दिन में एक बार
देखी जाती थी
आजकल
हम हर घड़ी
फ़ोन को
खोलते-बंद करते रहते हैं
एक नहीं
पचास साधन हैं
एक दूसरे से जुड़ने के
अपनी कहने को
दूसरे की सुनने को
लेकिन नहीं
हम हैं कि
ज्ञान बखाने जा रहे हैं
चुटकुले पर चुटकुले सुनाए जा रहे हैं
एक से बढ़कर एक फ़ोटो दिखाए जा रहे हैं
जैसे किसी रेल के डिब्बे में
कोई मैगज़ीन हाथ लग गई हो
और हम उतावले होकर उसे हर किसी को
दिखाते जा रहे हैं
- ये देखिए, ये है गायत्री मंत्र का सही मतलब
- वाह! क्या फ़ोटो है!
- हे भगवान! ऐसा भी कहीं होता है?
- ये तो कमाल ही हो गया!
- ये कार्टून कितना सटीक है
दरअसल
जब से स्मार्टफ़ोन हाथ आया है
हमारी बोलती बंद हो गई है
और
हम अपना भेजा इस्तेमाल करने के बजाय
दूसरों का भेजा भेजते रहते हैं
सिएटल | 425-445-0827
24 मई 2016
1 comments:
सच अब तो उंगलियां ही चलती हैं ...
संसार उँगलियों के इर्द-गिर्द सिमटता जा रहा है
Post a Comment