सुनसान राहों में
विकसित सभ्यता बोलती है
पदचिह्न तो हैं नहीं
मार्गचिह्न बोलते हैं
इधर मुड़ो
उधर चलो
यहाँ रूको
वहाँ देखो
सभ्यता के मायने
दायरे समझा रहे हैं
Invisible fence से हम
सहर्ष घिरे जा रहे हैं
समाजशास्त्र के पाठ
अब याद आ रहे हैं
सुनसान राहों में ...
1 सितम्बर 2016
सिएटल | 425-445-0827
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