Thursday, September 1, 2016

सुनसान राहों में


सुनसान राहों में 
विकसित सभ्यता बोलती है
पदचिह्न तो हैं नहीं
मार्गचिह्न बोलते हैं

इधर मुड़ो
उधर चलो
यहाँ रूको 
वहाँ देखो

सभ्यता के मायने
दायरे समझा रहे हैं
Invisible fence से हम
सहर्ष घिरे जा रहे हैं
समाजशास्त्र के पाठ
अब याद आ रहे हैं

सुनसान राहों में ...

1 सितम्बर 2016
सिएटल | 425-445-0827


इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: