जो है नहीं
उसी से कहता हूँ
तू अपना पता दे
तू है कि नहीं
इतना बता दे
जब दो ही नहीं हैं
तो ये सम्वाद कैसा?
जब एक ही है
तो ये विवाद कैसा?
अपनी ही धारणाओं की
शक्ल की पूजा
जैसे अपना हो बच्चा
पर है तो दूजा
दीपक जलेगा
तो ज्योति रहेगी
पूजा होगी
तो ख्याति रहेगी
यदि दीपक जलें
तो मिट्टी के ही जलें
यह आवश्यक नहीं
यह आग है व्यापक
इसका मापक नहीं
राहुल उपाध्याय | 20 मार्च 2017 | सिएटल
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