Saturday, January 9, 2021

अपराध

अपराध 

अब रात में नहीं होते हैं 


रातें रूमानी हो चली हैं

कभी बहता है यूट्यूब से संगीत 

तो कभी आकाशवाणी से 

तो कभी सोनी के वायरलेस 

नॉइज़ कैंसलिंग ब्लूटूथ हेडसेट से आती तुम्हारी खनकती आवाज़ से 


तुम्हारे होंठ और मेरे कान के बीच 

हज़ारों मील के फ़ासले

विलीन हो जाते हैं

तुम निर्भीक और निश्छल भाव से 

बातें 

करती जाती हो 

करती जाती हो 

करती जाती हो 

करती जाती हो 

करती जाती हो 

करती जाती हो 


अपराध 

अब नहीं होते हैं 


ज़िन्दगी रूमानी हो चली है

पोर-पोर से बहता है संगीत 

पल-पल

पग-पग 


थिरकते हैं पाँव- थोड़े और तेज़ 

धड़कता है दिल - थोड़ा और तेज़ 


राहुल उपाध्याय । 9 जनवरी 2021 । सिएटल 


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