Thursday, January 14, 2021

प्रेम का प्रताप

विद्यालय में मिले

वेलेण्टाइन से पहले

कई दिनों तक फिर मिलते रहे


सुन्दर जीवन

हाथ में हाथ लिए

नीलकमल सा और मनमोहक हुआ


सेठों से ज़्यादा अमीर हुए


प्यास बुझी या बढ़ी?

यार भी रखते हैं हिसाब कभी?

रच रहे हैं इतिहास अभी


कल की कोई चिंता नहीं 

रतजगे भी अब भाते हैं

ताबड़तोड़ स्नेपचैट पे जब बतियाते हैं


है ना प्रेम का यह प्रताप सही? 


राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2021 । सिएटल 




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2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

कवि राजीव खरे said...

राहुल भाई, बहुत शानदार आपको सदाशयी शुभकामनाये