Thursday, January 28, 2021

प्यार की रंगत

प्यार की रंगत में है 

सबका हाथ 

जो रोके उनका भी 

और जो देते हैं साथ 


प्यार के दुश्मन न हो चारों तरफ़ 

तो क्या छुप के मिलना 

और क्या ही करना 

इशारों में बात


ये सजना-संवरना 

ये मिलना-बिछड़ना 

इन सब में हैं शामिल 

हज़ारों के हाथ


न होता स्कूल

न होता दफ़्तर 

तो न तकते बेसब्री से

घड़ी के हाथ


तेरे मेरे मिलने के 

मक़ाम कई हैं 

जहाँ हो मना वहाँ की 

अलग ही है बात 


मिल के न मिलना 

महफ़िल में तुम से 

और शायरी में कहना

सारी बात


राहुल उपाध्याय । 28 जनवरी 2021 । सिएटल 



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