Saturday, March 5, 2022

तुम न होते, मैं न होता

तुम न होते, मैं न होता 

प्यार के वादे मैं न बोता 


तेरे सपने साथ न होते 

याद में तेरी मैं न खोता


आते जाते मौसम सारे 

मन मेरा गुलज़ार न होता


फूँक-फूंक कर मैं पाँव रखता 

उड़ने का अरमान न होता 


बहते जाते वक्त के धारे

ख़ुद को ख़ुद का ज्ञान न होता


दिल मेरा बस हॉफ रहता 

गाता जाता पर न रोता


रशिया वाले कुछ भी करते

मुझको न नुक़सान होता 


दब के रहती कुंठा 'राहुल'

ग़ज़लों में मैं पाप न धोता


राहुल उपाध्याय । 5 मार्च 2022 । सिएटल 


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