Tuesday, March 1, 2022

मैं उसे जानता हूँ

मैं उसे जानता हूँ 

वह भी मुझे जानता है 

मैं कुछ ज़्यादा 

वह कुछ कम


उसने मुझे अपनी किताब में स्थान दिया है 

मेरा नाम नहीं लिया

पर मुझे याद किया है


उसने मेरे बारे में ज़रूर सोचा होगा

लिखते वक्त 

लिखने से पहले

लिखने के बाद

प्रूफ़ रीडिंग के वक्त 

प्रकाशित होने के बाद


आज

उसके दुख की खबर पा कर

मुझे बहुत दुख हुआ 

मुझे अपना लगा

उसका-मेरा क़द बराबर लगा

वह मेरे क़रीब आ गया 


किसी के जाने का

दुख 

एक जैसा ही होता है

कम-ज़्यादा नहीं होता 

आँसू 

एक हो या हज़ार 

आँसू होते ही दुखदायी हैं


वह भी उसकी व्हीलचैयर देख 

वैसे ही रोता होगा 

जैसे मैं अपनी माँ का वॉकर देख रोया था


वह भी उसकी प्लेलिस्ट को देख

वैसे ही रोता होगा

जैसे मैं अपनी माँ के दीपक देख रोया था 


वह भी उसके साये को महसूस करता होगा

उसके कपड़ों में उसकी याद को संजोता होगा

उसकी चीजों को टटोलता होगा


हम दोनों 

सब कुछ होते हुए भी

दुख से दूर नहीं 


सब कुछ होते हुए भी 

एक कमी है 


यही कमी

हमें एक दूसरे से जोड़ती है


आज

उसमें और मुझमें 

कोई फ़र्क़ नहीं 


राहुल उपाध्याय । 1 मार्च 2022 । सिएटल 








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