Tuesday, April 25, 2023

उसका शहर

आज टीटी खेलते वक्त 

एक बंदा उसके शहर का मिल गया

मानो मैं उससे मिल लिया

बातों में इतना खो गया कि

पाईंट्स भी गिनना भूल गया 

लगा उसी के साथ खेल रहा हूँ 

उससे जीतने का मन न हुआ 

उसके शहर के चप्पे-चप्पे की बात की

लगा कि जैसे वह अभी-अभी 

उस 

मोड़ 

गली

मोहल्ले 

दुकान

कॉलेज 

से गुज़री है

जिसकी हम बात कर रहे हैं 


मेरे उत्साह को देख

वह पूछने लगा

आप किस एरिया में रहते हो?

कैसे कहता कि

मैं उस शहर का नहीं 

लेकिन मेरी जान

उस शहर के चप्पे-चप्पे में है 

जहाँ-जहां वो साँस लेती है 

जहाँ-जहां से उसकी स्कूटी गुज़रती है 

जहां-जहां रूक के वो 

कुछ रंग-बिरंगा 

कुछ खट्टा-मीठा लेती है 

और बजट देख के 

कुछ देख के वापस रख देती है

जहां-जहां वो माथा टेकती है 

जहां-जहां वो मन मार के रह जाती है 

जहां-जहां वो सुखी जीवन के सपने बुनती है 


राहुल उपाध्याय । 25 अप्रैल 2023 । सिएटल 





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