Sunday, November 19, 2023

कप के अरमा आँसुओं में बह गए

कप के अरमां आँसुओं में बह गए

दस से जीत कर के भी हारे रह गए


जीत की इक आस मन में रह गई

जश्न के सपने सुहाने ढह गए


सोचते थे हम आज जीतेंगे अवश्य 

हम रहे इस पार और जीत वह गए


आज हैं हारे तो क्या ये अंत नहीं 

जीत ही जाएँगे कल सब कह गए


राहुल उपाध्याय । 19 नवम्बर 2023 । लखनऊ 

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