Thursday, November 9, 2023

बात अपनी मैं अपनों से कहता नहीं

बात अपनी मैं अपनों से कहता नहीं 

हर किसी को ग़ज़ल में सुनाता रहा

खेल रिश्तों के बंधन का ऐसा कि बस

जान उनसे मैं अपनी छुड़ाता रहा


खो गया जो वो मेरा कहाँ था कभी

साथ जो भी है वो भी रहेगा नहीं 

उम्र के उस पहर में है ये ज़िन्दगी 

कि सच सबका मैं खुद को बताता रहा


आज के इस उजाले पे ना हूँ फ़िदा 

कल के ग़म का भी कोई भोकाल नहीं 

जब से समझा कि जीवन न एक सा सदा

जो भी सीखा उसे मैं भुलाता रहा


चार पद में कहाँ तक बयां मैं करूँ 

किसने कितना मुझे कब सहारा दिया

एक वो भी थी, वो भी थी, वो भी तो थी

रोज़ लिख-लिख के मैं गीत मिटाता रहा


राहुल उपाध्याय । 10 नवम्बर 2023 । दिल्ली 

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