Monday, November 13, 2023

पा लिया मैंने सब सुख

पा लिया मैंने सब सुख

खो दिया ग़म का सागर

जाओ दुख अब ना तुम

मुझको दे पाओगे


जबसे चलने लगा राह अपनी कोई 

तबसे दिल में नहीं आस पलती कोई 

आस ही जो नहीं, कैसे तड़पाओगे 


हाथ से छू कर मुझे अब न कुछ है देखना

सब के सब हैं क्षणिक, शोख़-गुल-आश्ना 

चाँद-तारों से भी अब ना मुझे ललचाओगे 


राहुल उपाध्याय । 14 नवम्बर 2023 । रीवा जाते हुए 









इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: