लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?
जो ज़हर दे और मार दे?
जो बम से सौ मार दे?
जो संसद से निकाल दे?
लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?
जो देश को हथियार दे?
जो जात को पहचान दे?
जो निष्ठा का इम्तिहान ले?
लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?
जो बेटियों को मार दे?
जो लड़के नहीं हैवान हैं?
जो पति नहीं शैतान हैं?
लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?
जो सुर्खियों को छाँट दे?
छाँव-धूप में बाँट दे?
जो बिक सके वो माल दे?
लिखूँ, तो किसके ख़िलाफ़ लिखूँ?
जो पंक्तियों पे ध्यान दे?
जो वर्तनियों को मान दे?
विसंगतियों पे बखान दे?
राहुल उपाध्याय । 19 फ़रवरी 2024 । सिएटल
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सुन्दर
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